मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते। मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते।
लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है। लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है।
हाले-दिल समझने को फक़त नीयत होना काफी है! हाले-दिल समझने को फक़त नीयत होना काफी है!
मैं अधूरा हूँ... तुम होती तो... शायद पूरा होता! मैं अधूरा हूँ... तुम होती तो... शायद पूरा होता!
जूता क्या है..दुनियादारी पांव बराबर बैठ गए तो भैय्या तुम एकदम फिट हो इस दुनिया के लिए, पर उनका क्... जूता क्या है..दुनियादारी पांव बराबर बैठ गए तो भैय्या तुम एकदम फिट हो इस दुनिय...
पिता वह है जो भावुकता के भाव को भीतर छिपा कठोर भाव को अपनाता है ... पिता वह है जो भावुकता के भाव को भीतर छिपा कठोर भाव को अपनाता है ...